वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी, वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी,
याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.। याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.।
लुट चुके विचारों के गाँव डाल चले लहरों पर पाँव लुट चुके विचारों के गाँव डाल चले लहरों पर पाँव
"कुछ न होने जैसे इस होने पर तरंगित होना चाहता हूँ" "कुछ न होने जैसे इस होने पर तरंगित होना चाहता हूँ"
तूफानों से लड़कर आते , पत्थर के प्रहार भी सहते नमन भारत के लाल को जो वारे देश पर शरी तूफानों से लड़कर आते , पत्थर के प्रहार भी सहते नमन भारत के लाल को जो वार...
इस वीराने में इस वीराने में